प्रेम सच में किसी से भी कभी कही भी हो सकता है।
पहले मैं ये इसको एक किताबी लाइन मानता था।
पर जब मेरी जिन्दगी में ये लाइन सच हुई तब जा कर समझ में आया की प्रेम करने वाले कभी गलत नही हो सकते ।
प्रेम एक एहसास नही है प्रेम एक पूरा जीवन होता है अपने आप में जो प्रेम को समझ गया वह सबकुछ समझ गया ।
प्रेम कभी किसी को देख कर हो सकता है पहली नजर में प्रेम ।
प्रेम किसी को ऑनलाइन डेटिंग एप पर हो सकता है।
किस को फेसबुक पर तो किसी को व्हाट्सएप पर प्रेम हो सकता है ।
प्रेम बस प्रेम है । उसमे कोई छल कपट नही हो सकता। छल कपट प्यार में हो सकता है।
पर प्रेम में नही ।
प्यार और प्रेम दोनो अलग है ।
इनके भाव मर्म को समझना होगा ।
प्रेम दो आत्माओं का मिलन है ।
और प्यार दो शरीरों का मिलना है ।
एक बार जिसको प्रेम हो गया वह प्यार कभी नही करेगा। इसलिए प्रेम करो प्यार नही ।
जिस मनुष्य को इंसानों से प्रेम नही मिलता वह भगवान से प्रेम करने लगते है। मनुष्य मुनष्य से प्रेम क्यू नही कर पता है इसके बारे में आगे लिखूंगा।
राधे राधे ।।